चीन के एक फैसले से पूरी दुनिया के ऑटो उद्योग पर संकट, भारत में भी इसके असर को समझिए

वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र, को दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों (रेयर अर्थ मैग्नेट्स) की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है. यह कमी मुख्य रूप से चीन द्वारा लगाए गए नए निर्यात प्रतिबंधों के कारण है, जो इन महत्वपूर्ण सामग्रियों का प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता और प्रोसेसर है. ऑटोमोबाइल निर्माताओं और उनके आपूर्तिकर्ताओं को भारी व्यवधानों का सामना करना पड़ रहा है, और कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि कुछ हफ्तों में इन्वेंट्री खत्म हो सकती है, जिससे कारखानों को बंद करना पड़ सकता है. उद्योग संगठन और सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास कर रही हैं, जिसमें चीन के साथ कूटनीतिक बातचीत और वैकल्पिक स्रोतों की खोज शामिल है, लेकिन तत्काल राहत की संभावना अनिश्चित है.

 

चीन का प्रभुत्व और निर्यात प्रतिबंध

चीन दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों के प्रसंस्करण और आपूर्ति में लगभग एकाधिकार रखता है, जो ऑटोमोटिव उद्योग के लिए आवश्यक हैं. विभिन्न स्रोतों के अनुसार, चीन के पास “वैश्विक प्रसंस्करण क्षमता का 90% से अधिक” और “दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों के उत्पादन का 70-80%” हिस्सा है. अप्रैल की शुरुआत में, चीन ने नए निर्यात प्रतिबंध लागू किए, जिसके तहत निर्यातकों को बीजिंग से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है. इन प्रतिबंधों ने “प्रक्रियात्मक बाधाएं” पैदा की हैं, जिसके परिणामस्वरूप शिपमेंट में देरी हो रही है.

ये प्रतिबंध, कुछ हद तक, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में माने जा रहे हैं. इससे न केवल आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है, बल्कि वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग के लिए एक बड़ा जोखिम भी सामने आया है.

दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों का महत्व

दुर्लभ पृथ्वी चुंबक केवल इलेक्ट्रिक वाहनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये विभिन्न ऑटोमोटिव सिस्टम्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऑटोमोटिव इनोवेशन के लिए गठित गठबंधन ने अमेरिकी प्रशासन को लिखे एक पत्र में बताया कि ये चुंबक “स्वचालित ट्रांसमिशन, थ्रॉटल बॉडी, अल्टरनेटर, विभिन्न मोटर, सेंसर, सीट बेल्ट, स्पीकर, लाइट, पावर स्टीयरिंग, और कैमरों” जैसे घटकों में उपयोग होते हैं.

 

इन चुंबकों के बिना, ऑटोमोटिव आपूर्तिकर्ता इन महत्वपूर्ण घटकों का उत्पादन नहीं कर सकते, जिससे वाहन निर्माण की पूरी प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती है.

उत्पादन में व्यवधान और बंद होने का खतरा

इस कमी ने वैश्विक ऑटोमोबाइल निर्माताओं, जैसे जनरल मोटर्स, टोयोटा, और फोक्सवैगन, के बीच गंभीर चिंता पैदा की है. संभावित परिणाम बहुत गंभीर हैं, जिसमें “उत्पादन मात्रा में कमी” से लेकर “अमेरिका में वाहन असेंबली लाइनों का बंद होना” शामिल है.

भारत में, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए स्थिति विशेष रूप से गंभीर है. मीडिया से बातचीत में बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक ने चेतावनी दी है कि अगर आपूर्ति की बाधाएं बनी रहीं, तो उद्योग “जुलाई तक दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी का सामना कर सकता है.” कुछ आपूर्तिकर्ताओं की इन्वेंट्री मई के अंत तक खत्म हो सकती है, जिससे उत्पादन पूरी तरह ठप हो सकता है.

जटिल और बोझिल आयात प्रक्रिया

चीन के नए निर्यात प्रतिबंधों ने आयातकों के लिए एक जटिल और बोझिल प्रक्रिया बनाई है. बजाज ऑटो ने इसे “कठिन प्रक्रिया” बताया है, जिसमें “दुर्लभ पृथ्वी के सैन्य उपयोग में न होने की अंतिम उपयोग घोषणा” और “भारत के कई मंत्रालयों, चीनी दूतावास, और अंततः चीनी अधिकारियों से निर्यात मंजूरी” की आवश्यकता होती है.

 

भारतीय ऑटो उद्योग ने कई आवेदन जमा किए हैं, लेकिन अभी तक “कोई मंजूरी नहीं मिली है.” चीनी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि आवेदन जमा होने के बाद मंजूरी में “40 से 45 दिन” लग सकते हैं. यह लंबी प्रक्रिया उद्योग के लिए तत्काल राहत की संभावनाओं को और कम करती है.

तत्काल विकल्पों की कमी

हालांकि दुर्लभ पृथ्वी के भंडार चीन के बाहर भी मौजूद हैं, लेकिन इनका निष्कर्षण और शोधन एक जटिल और महंगी प्रक्रिया है, जिसमें भारी निवेश और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. इसलिए, तत्काल विकल्प ढूंढना मुश्किल है.

दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों को अन्य सामग्रियों से बदलने की रणनीति भी जटिल है और इसमें समय लगेगा. नए घटकों को विकसित करने और उनकी वैधता की जांच करने में लंबा समय लगता है. बजाज ऑटो के अनुसार, “तत्काल कोई समाधान उपलब्ध नहीं है.”

उद्योग और सरकार की प्रतिक्रिया

ऑटोमोबाइल निर्माता और उद्योग संगठन इस संकट से निपटने के लिए सरकारों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. ऑटोमोटिव इनोवेशन गठबंधन ने अमेरिकी सरकार को एक पत्र भेजा है, जिसमें इस समस्या के समाधान की मांग की गई है.

भारत में, भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता सोसायटी (Siam) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल चीन के अधिकारियों से मिलने की तैयारी कर रहा है ताकि “आवश्यक मंजूरी को तेज किया जाए और शिपमेंट का प्रवाह बहाल हो.” भारतीय वाणिज्य और विदेश मंत्रालय अपने चीनी समकक्षों के साथ समन्वय कर रहे हैं.

 

कुछ कंपनियां, जैसे जेबीएम ग्रुप, अन्य एशियाई देशों से चुंबकों की खरीद की खोज कर रही हैं. यूरोपीय संघ भी चीन पर निर्भरता कम करने के लिए खनन और रीसाइक्लिंग पहलों को तेज कर रहा है.

भविष्य की अनिश्चितता

इस गंभीर स्थिति के बावजूद, उम्मीद है कि या तो चीन की मौजूदा मंजूरी प्रक्रियाएं परिणाम देंगी या वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाएं और तकनीकी समाधान समय के साथ विकसित होंगे. हालांकि, निकट भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, और उत्पादन में व्यवधान का खतरा बड़ा है.

आईडीटेकएक्स के विश्लेषण के अनुसार, लागत में वृद्धि के बावजूद, दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों पर निर्भर स्थायी चुंबक मोटरें अपनी उच्च शक्ति घनत्व और दक्षता के कारण ईवी बाजार में प्रभुत्व बनाए रखती हैं. चुंबक-मुक्त विकल्पों में रुचि बढ़ रही है, लेकिन ये बहुत समय लेगा.

चीन के निर्यात प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग के लिए एक बड़ा खतरा है. कुछ हफ्तों में उत्पादन में व्यवधान और असेंबली लाइनों के बंद होने की संभावना है. चीन पर इन महत्वपूर्ण सामग्रियों की निर्भरता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक बड़ी कमजोरी को उजागर करती है.

 

हालांकि इस संकट से निपटने के लिए कूटनीतिक प्रयास और वैकल्पिक समाधानों की खोज जारी है, लेकिन स्थिति की जटिलता और तत्काल विकल्पों की कमी से पता चलता है कि यह चुनौती अल्प से मध्यम अवधि तक बनी रह सकती है. दीर्घकालिक दृष्टिकोण कूटनीतिक प्रयासों की प्रभावशीलता, विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास, और वैकल्पिक मोटर प्रौद्योगिकियों में प्रगति पर निर्भर करेगा.

यह संकट ऑटोमोटिव उद्योग और सरकारों के लिए एक चेतावनी है कि आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती और तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

1 thought on “चीन के एक फैसले से पूरी दुनिया के ऑटो उद्योग पर संकट, भारत में भी इसके असर को समझिए”

Leave a Reply to A WordPress Commenter Cancel reply