Asaduddin Owaisi: विदेश से लौटते ही बदले असदुद्दीन ओवैसी की सुर, कहा- मानसून सत्र में उठाऊंगा पहलगाम का मुद्दा

विदेश गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भारत का पक्ष रखकर वापस देश लौट आए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार की ओर से कई देशों में भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा रहे असदुद्दीन ओवैसी अल्जीरिया, सऊदी अरब, कुवैत और बहरीन गए थे। उन्होंने इन मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की सच्चाई को बेबाकी से सामने रखा।

भारत लौटते ही अब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के सुर बदले नजर आ रहे हैं। एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में जब एंकर ने ओवैसी से पूछा कि, दुनियाभर में भारत का पक्ष रखने के बाद भारत सरकार पर कैसे आरोप लगाएंगे कि हमें दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया? इस पर ओवैसी ने कहा कि, घर की बात घर में होगी, घर की बात बाहर क्यों करेंगे? अगर देश में मॉब लिंचिग होगी तो हम बराबर बोलेंगे कि देश में मॉब लिंचिंग हो रही है।

‘असदुद्दीन ओवैसी कभी बदलने वाला नहीं है’

एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, अगर बकरीद पर गौरक्षक लोगों को परेशान करेंगे, कोई महाराष्ट्र के मंत्री ने भी बकवास किस्म का बयान दिया है। लोग बोलते हैं बोलते रहेंगे। देश की बात देश में होगी, इसका यह मतलब नहीं निकाल सकते हैं। देश में जो होगा उस पर नहीं बोलेंगे। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी कभी बदलने वाला नहीं है। जब तक जिस्म में एक सांस भी रहेगी। बदलने वाला नहीं हूं, जहां पर देश की बात आएगी, पाकिस्तान हो या चीन हो या कहीं पर भी हो वहां पर देश के हित में बात होती थी हो रही है और होगी।

ओवैसी ने कहा कि जहां पर देश के अंदर लोकतंत्र को कमजोर करने की बात आएगी, रूल ऑफ लॉ की बात आएगी, देश के संविधान के तहत मौलिक अधिकार दिए गए हैं। उन्हें अगर कोई कमजोर करेगा तो हम उस पर बोलेंगे। अगर कोई ऐसा सोच रहा है तो गलत बात है। हम वक्फ बिल के खिलाफ थे, खिलाफ हैं, सीएए के खिलाफ थे आज भी खिलाफ हैं। तीन तलाक गलत कानून बना है, आज भी हम उसे गलत कानून बोलेते हैं। जहां तक दुनिया के मंच पर भारत की बात करना है। तो हम लगातार खुलकर करेंगे। यहां पर जो राजनीतिक दल हैं, हम उनकी आलोचना करेंगे। उनके गलत फैसलों पर आलोचना करनी ही पड़ेगी। यही तो लोकतंत्र है।

सीजफायर की बात प्रधानमंत्री को बतानी चाहिए थी- ओवैसी

ओवैसी से जब राहुल गांधी के हालिया बयान को लेकर पूछा गया तो इस पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में बहुत बड़े नेता हैं, वो उनके बायन पर जवाब देंगे, मैं उसमें उलझना नहीं चाहता हूं। मेरा एक ही बात कहनी है कि, जब हमने सीजफायर का एलान किया तो हमने कहा था कहा हमारी तरफ से कोई गोली, गोला और तोप नहीं चलेगी। कोई मिसाइल और ब्रह्मोस नहीं चलेगा। उस वक्त मैंने कहा था कि ये बात देश को हमारे प्रधानमंत्री को बतानी चाहिए था या राजनीतिक नेतृत्व को बतानी चाहिए थे। हमें ये बात अमेरिका के राष्ट्रपति के ट्वीट से पता चली। ये मेरी आपत्ति थी। पहलगाम में जो कुछ हुआ, ये क्यों हुआ और इसकी जिम्मेदारी किसकी है?

हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा, हम उम्मीद करते हैं कि जब जुलाई में मानसून सत्र शुरू होगा। हम इस बात को रखेंगे। सरकार से सवाल पूछेंगे। कैसे सुरक्षा चूक हुई? इसकी जिम्मेदारी किस पर आएगी। इस पर सवाल तो उठेंगे। हम उठाएंगे संसद में जब मानसून सत्र शुरू होगा। अगर सरकार ये कहती है कि हम पहलगाम हमले पर बहस नहीं करा सकते हैं। ये संवेदनशील मामला है। तो हम उसे बताएंगे संसद के नियमों में प्रवधान है कि अगर आप कहते हैं कि ये संवेदनशील मामला है, तो आप इन कैमरा बहस कराईए, मीडिया में कोई रिपोर्ट नहीं होगा। पहले भी हुआ है। जब चीन से जंग हुई थी। तब बहस हुई है। डिबेट तो होनी चाहिए।

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